49 की शक्ति - सही उम्मीदवार के पीछे

पिछले आम चुनाव जो वर्ष 2009 में हुए, एक अनुमान के अनुसार चुनाव में खड़े 150 सांसदों के खिलाफ आपराधिक आरोप थे। 14 वीं लोकसभा के चुनावों (2004 में) में आपराधिक रिकॉर्ड वाले 128 उम्मीदवार थे, उनके मुकाबले इस बार आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों में 17.2% वृद्धि हुई। 2004 के चुनावों से 2009 में गंभीर अपराधों के आरोप वाले सांसदों की संख्‍या में 30.9% की वृद्धि भी हुई थी।

यदि आप गणित की बात करते हैं, तो इसका मतलब हुआ कि 15 वीं लोकसभा के चुनाव में हर चार कानून निर्माताओं में से एक ऐसे को चुना गया जिसने खुद कानून तोड़ा है।

लोकसभा में दागी सांसदों की अधिकतम संख्या भेजने का उत्तर प्रदेश ने रिकॉर्ड बनाया। उनके 80 सांसदों में से 31 के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे। उन 31 में से 22 पर गंभीर अपराधों के, दस पर जघन्य अपराधों के आरोप थे। महाराष्‍ट्र दूसरे स्थान पर रहा, जिसके 23 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, उनमें से नौ पर गंभीर अपराधिक मामले हैं।

इन ढेर सारे आरोपों में से बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े हैं। कुछ सांसद जो इस समय सत्‍ता में हैं, उनके आरोप पत्र में अपहरण, हमले और इनमें सबसे जघन्य मामलों में हत्या के आरोप भी हैं। ये वे लोग हैं जो कानून और नीतियां बना रहे हैं जिनके हिसाब से हमें रहना और जिनका पालन करना होगा। सही में यह विडंबना ही है?

तो भीइसकी कोई जवाबदेही नहीं डाल रहा, हम ही हैं जिन्‍होंने अपने वोट के द्वारा इन्‍हें सत्‍ता में लाएं हैं मतदान नहीं किया तो यह और भी बदतर है क्‍योंकि इसका मतलब हुआ कि आप शांत बैठे रहे और ऐसे नेताओं को लोकसभा में बैठने दिया।

2014 में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के 16वें आम चुनाव होंगे और कौन इसे चलाएगा यह शक्ति हमारे हाथ में है। सही उम्मीदवार को हर एक वोट मायने रखता है और यही समय है बड़े मतदाता समूह को एकजुट करने का, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया है। भारत में सभी पंजीकृत मतदाताओं में 49% महिलाएं हैं। अभी शुरू करें, हमारी मां, बहनों, पत्नियों, बेटियों, चाची-बुआ, महिला मित्रों, सहयोगियों एवं हमारे परिवारों और सामाजिक दायरे के भीतर प्रत्‍येक अन्‍य महिला को सही उम्मीदवार का चयन करने और वोट के लिए घर से निकलने के लिए शिक्षित करना हममें से हर एक की व्‍यक्तिगत जिम्‍मेदारी है।

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